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लेखनी कहानी -01-Jul-2022 डायरी जुलाई 2022

डायरी जुलाई 2022 


इंटरनेट बिना सब सूना 

डायरी सखि, 
कभी सोचा नहीं था कि ऐसा भी होगा । राजस्थान में दिनांक 28.6.2022 को उदयपुर में एक बहुत ही नृशंस,  बर्बर, क्रूर, तालिबानी, पैशाचिक , अमानवीय कार्य हुआ । एक गरीब दर्जी का कुछ जेहादियों ने सिर धड़ से अलग कर दिया । उसी की दुकान में । सबके बीच । और इस घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया । मैं ही क्या पूरा देश हतप्रभ रह गया । 

सखि, यह दिल दहला देने वाली घटना मेरे ही राज्य राजस्थान में घटी । राजस्थान जो कभी शांत प्रदेश माना जाता था , आज बलात्कार, हत्या, लूट खसोट, डकैती और भी बहुत सारे अपराधों के लिये जाना जाता है । मैं बहुत खुला लिख नहीं सकता हूं सखि । मेरी भी कुछ सीमाएं हैं । जितना लिखा है उसी से अंदाज लगा लेना कि राजस्थान की क्या दुर्गति बनाकर रख दी है । 

इस अमानवीय घटना से आम जनता में आक्रोश व्याप्त हो गया । ऐसे में अफवाहें बड़ी तेजी से फैल जाती हैं और कुछ लोगों द्वारा ऐसे मौके का फायदा उठाकर अफवाहें फैलाई भी जाती हैं जिससे दंगा फसाद हो, कूछ लोगों की हत्याएं हों और उन लोगों की दुकान चलती रहे । ऐसे में इंटरनैट बंद कर दिया जाता है जिससे लोग सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रिय ना हों । अब ऐसे में इंटरनेट की महत्ता पता चलती है । 
जिस दिन नेट बंद हुआ सखि, उस दिन ऐसा लगा कि मेरे पास करने लायक कोई काम नहीं है । ना तो मैं किसी एप पर किसी की रचना पढ सकता था और ना ही लिख सकता था । ना तो स्टारमेकर पर गाना गा सकता था और ना ही व्हाट्सएप या फेसबुक पर गॉसिप कर सकता था । नेट हो तो कुछ खुले । बिना नेट के केवल फोन पर बातें हो सकती थी या एस एम एस भेज सकते थे । इन दिनों में मैंने जितना असहाय स्वयं को पाया था , उतना पहले कभी नहीं पाया था । ऐसा लगा जैसे मैं बेरोजगार हो गया हूं । सबसे बड़ी बात तो यह थी कि समाचार भी पता नहीं चल रहे थे । आजकल मोबाइल ने टीवी भी बंद करवा दिए हैं सखि । 

समय काटना बहुत भारी काम लगने लगा सखि । 29.6.22 को तो मैं पुस्तकालय से एक बहुत बड़े लेखक की बहुत सुंदर पुस्तक ले आया । इसे पढने की मेरी बहुत इच्छा थी सखि वर्षों से । पर कहते हैं कि जोग संजोग होता है हर चीज का । तो इसे पढने का योग अब जाकर मिला है । हालांकि अभी मैं इसे आधी ही पढ़ पाया हूं । अरे रे रे , मैं पुस्तक का नाम तो बताना ही भूल गया था । महान लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी की "बाण भट्ट की आत्मकथा" है यह । इस पर समीक्षा भी लिखूंगा , जब पूरी हो जाएगी । संस्कृत निष्ठ हिन्दी भाषा का अद्भुत सौंदर्य है यह पुस्तक । हिन्दी के समस्त लेखकों को ऐसी पुस्तकें अवश्य ही पढनी चाहिए जिससे हिन्दी भाषा पर पकड़ और अच्छी हो सके । 

यहां जयपुर में तो वाई फाई लगा है घर में । इसलिए मैं यह लेख वगैरह लिख पा रहा हूं अन्यथा पुस्तक पूर्ण हो जाती अब तक तो । 

अच्छा , अब चलते हैं । कल फिर मिलते हैं । 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
1.7.22 


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9 Comments

Aniya Rahman

03-Jul-2022 01:30 AM

Osm

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Chudhary

03-Jul-2022 12:47 AM

Nyc

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Khan

02-Jul-2022 06:36 PM

Nyc

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